मेरी जिँदगी की नाव मे सुराख हो गया
हर ख्वाब जल के आँख मे ही राख हो गया
जब एक फूल प्यार का इसपे न खिल सका
ये जिस्म एक सूखी हुई साख हो गया
होना था जो हुआ ही नही फिर ये क्या हुआ
ये इश्क आज डाकिये का डाक हो गया
तेरे लिये जीना है साँस तेरे लिये लूँ
सारे बदन मे छेद बदन नाक हो गया
विषधर हैँ सारे लोग सिर्फ मै अकेला हूँ
इसलिये जुबाँ है फन दिलो मे साँप है
सावन की घटाओँ सा यूँ बरसा है सबका झूठ
सच सच नही रहा फकत मजाक हो गया